बिन मौसम बरसात नहाती जैसे गर्मी ।
हल्की हल्की धूप लगे उसमें बेशर्मी ।।
और फुहारें गाल पर उसके लगे पसीना ।
झूमे आँधी बन फरियादी मिले कहीं ना ।।
गरजे बादल कहे अभी बरसात न आया ।
चमक के बिजली और दिखाये अपनी माया।।
प्रकृति ने बदला रूप धूप छिपती फिरती है ।
पानी पानी हुई ये गर्मी में धरती है।।