बुधवार, 15 मई 2019

दो रोला

बिन मौसम बरसात नहाती जैसे गर्मी ।
हल्की हल्की धूप लगे उसमें बेशर्मी ।।
और फुहारें गाल पर उसके लगे पसीना ।
झूमे आँधी बन फरियादी मिले कहीं ना ।।

गरजे बादल कहे अभी बरसात न आया ।
चमक के बिजली और दिखाये अपनी माया।।
प्रकृति ने बदला रूप धूप छिपती फिरती है ।
पानी पानी हुई ये गर्मी में धरती है।।

बुधवार, 28 नवंबर 2018

गज़ल


ख्वाब तो बन्द निगाहों में रहे...
नीद भर रात की बाहों में रहे....

हम भटकते हुए तारे ही सही...
आसमां के ही पनाहों में रहे.....

कोई मंजिल का पता क्यों पूछे...
हौसला होश जो राहों में रहे....

कैद एहसासों में हम हैं तेरे....
गैर की नजरें गुनाहों में रहे..

तेरे माथे का शिकन बनके रहे....
खुश रहे जब कभी आहों में रहे...

अब "महज" आखिरी तमन्ना है...
मरके भी सबकी दुआओं में रहें.....

गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018

Doha

आज के मौसम का दोहा----
धूप निकलती छाँव से छाँव निकलती धूप ।
एक दूजे को थामकर पल में बदले रूप ।।

Doha

बैठ दुपहरी देखती सरसो फूले खेत।भँवरा बन रितुराज भी आया करने भेँट!!

शुक्रवार, 26 जनवरी 2018

Arj Kiya h

जज्बा ए वतन पैदा नही किया जाता हो जाता है

ये वो इश्क है जिसकी दीवानगी की हद नही होती है

रविवार, 21 जनवरी 2018

गज़ल

गज़ल -

नजरों को अपने प्यार के काबिल बनाइए
नजरों के रास्ते से दिल पर न जाइए

बदले हुए हालात को अपना बनाइए
जो हाथ बढ़ाए उसे दिल से लगाइए

शीशे का भी होता है किसी का यहाँ मकाँ
यह सोचकरके हाथ में पत्थर उठाइए

चलती नही है खून से भरी कोई कलम
मजहब में तिजारत की न स्याही मिलाइए

बनकरके दोस्त भोंकते हैं पीठ में छुरे
उनके नकाब चेहरे से अब तो हटाइए

आती नही है नींद 'महज' भूख से कभी
यह सोचकर गरीब को खाना खिलाइए

गुरुवार, 4 जनवरी 2018

अर्ज किया है

छलक जाता है जुबां से गुरुर अक्सर
दिल में जो रखतें हैं मगर जताते नही